Saturday, 8 October 2016

साल में कितनी एकादशियाँ

हिंदू धर्म में एकादशी का व्रत महत्वपूर्ण स्थान रखता है। प्रत्येक वर्ष 24 एकादशियाँ होती हैं। जब अधिकमास या मलमास (पंचांग (खगोलीय गणना) के अनुसार हर तीन वर्ष के अंतराल पर) अधिक मास या मलमास आता है तब इनकी संख्या बढ़कर 26 हो जाती है। सभी उपवासों में एकाद्शी व्रत श्रेष्ठतम कहा गया हैइस व्रत को रखने वाले व्यक्ति को अपने इंद्रियों, आहार और व्यवहार पर संयम रखना होता है| एकाद्शी व्रत का उपवास व्यक्ति को धर्म के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है. साल की 26  एकादशियाँ कुछ इस प्रकार होती है  :
      नाम                          मास                                  पक्ष
1.   कामदा एकादशी                     चैत्र                                          शुक्ल
2.   वरूथिनी एकादशी                   वैशाख                           कृष्ण
3.   मोहिनी एकादशी                    वैशाख                           शुक्ल
4.   अपरा एकादशी                     ज्येष्ठ                            कृष्ण
5.   निर्जला एकादशी                    ज्येष्ठ                            शुक्ल
6.   योगिनी एकादशी                    आषाढ़                           कृष्ण
7.   देवशयनी एकादशी                   आषाढ़                           शुक्ल
8.   कामिका एकादशी                   श्रावण                            कृष्ण
9.   पवित्रा एकादशी                      श्रावण                           शुक्ल
10.  अजा एकादशी                     भाद्रपद                           कृष्ण
11.  पद्मा एकादशी                      भाद्रपद                           शुक्ल
12.  इंदिरा एकादशी                    आश्विन                          कृष्ण
13.  पापांकुशा एकादशी                 आश्विन                          शुक्ल
14.  रमा एकादशी                     कार्तिक                           कृष्ण
15.  देव प्रबोधिनी एकादशी              कार्तिक                           शुक्ल
16.  उत्पन्ना एकादशी                  मार्गशीर्ष                          कृष्ण
17.  मोक्षदा एकादशी                   मार्गशीर्ष                          शुक्ल
18.  सफला एकादशी                   पौष                             कृष्ण
19.  पुत्रदा एकादशी                    पौष                             शुक्ल
20.  षटतिला एकादशी                  माघ                             कृष्ण
21.  जया एकादशी                     माघ                             शुक्ल
22.  विजया एकादशी                   फाल्गुन                           कृष्ण
23.  आमलकी एकादशी                 फाल्गुन                           शुक्ल
24.  पापमोचिनी एकादशी                चैत्र                               कृष्ण
25.  पद्मिनी एकादशी                   अधिकमास                         शुक्ल
26.  परमा एकादशी                    अधिकमास                         कृष्ण


Friday, 7 October 2016

पापाकुंशा एकादशी



हिन्दू शास्त्रों के अन्तरगत आश्विन मास कि शुक्ल पक्ष कि एकादशी के दिन श्री विष्णु जी का पूजन करने की सलाह दी़ जाती है,जिसे पापाकुंशा एकादशी के नाम से जाना जाता है| इस साल पापाकुंशा एकादशी 12  अक्टूबर 2016  बुधवार को मनाई जाएगी|  इस एकादशी के पूजने से व्यक्ति को स्वर्ग लोक की प्राप्ति होती है|जो फल मनुष्य को दिन-रात कड़ी मेहनत करने के बाद मिलता वही फल पापाकुंशा एकादशी के दिन श्री विष्णु को नमस्कार कर देने से ही मिल जाता है,और मनुष्य को यमलोक के दु:ख नहीं भोगने पडते है|यह व्रत आश्विन शुक्ल एकादशी को किया जाता है|पापाकुंशा एकादशी के बारे में कहा गया है, कि हजार अश्वमेघयज्ञ और सौ सूर्ययज्ञ करने के फल,इस एकादशी के फल के सोलहवें, हिस्से के बराबर भी नहीं होता है| अर्थात इस एकादशी व्रत का समान अन्य कोई व्रत नहीं है| इस एकादशी का व्रत करने से मनुष्य को स्वस्थ शरीर और सुन्दर जीवन साथी की प्राप्ति होती है| इस एकादशी की रात्रि में जो  जागरण करता है, उन्हें, स्वर्ग मिलता है| यह एकाद्शी व्रत करने वाले के मातृपक्ष के दस और पितृपक्ष के दस पितरों को विष्णु लोक लेकर जाती है| इस एकादशी के दिन जो मानव भूमि, गौ, अन्न, जल, वस्त्र और छत्र आदि का दान करता है, उन्हें यमराज के दर्शन नहीं मिलते है| इसके अलावा जो व्यक्ति तालाब, बगीचा, धर्मशाला, प्याऊ, अन्न क्षेत्र आदि बनवाते है, उन्हें पुन्य फलों की प्राप्ति होती है|धर्म करने वाले को सभी सुख मिलते है|

पापाकुंशा एकादशी व्रत विधि

पापाकुंशा एकादशी  में श्री विष्णु जी का पूजन करने के लिए धूप, दीप, नारियल और पुष्प का प्रयोग किया जाता है| एकादशी तिथि के दिन सुबह उठकर स्नान करने के बाद व्रत का संकल्प लेना चाहिए| संकल्प लेने के बाद चौकी  स्थापना की जाती है और उसके ऊपर श्री विष्णु जी की मूर्ति रखी जाती है|इसके साथ भगवान विष्णु कथा का स्मरण किया जाता है| इस व्रत को करने वाले को विष्णु के सहस्त्रनाम का पाठ करना चाहिए

Wednesday, 5 October 2016

धन लाभ के 10 शुभ-लक्षण









शगुन और अपशगुन की अपनी एक मान्यता है  और प्रकृति किसी किसी रूप में लाभ और हानि का संकेत देती है जिसे शगुन,अप-शगुन माना जाता है|हिन्दू संस्कृति में,सभी उपनिषदों में एवं ग्रंथों में शगुन,अप-शगुन का वर्णन किया गया है|इन सभी बातों के पीछे विज्ञानी तर्क भी है|दरअसल प्रकृति में नकारात्मक और सकारात्मक उर्जा बनी रहती है। जब इंसान का वक्त अच्छा चल रहा होता है,तो उसके आस-पास सकारात्मक उर्जा बढ जाती है और जब इंसान का वक्त बुरा चल रहा होता है,तो उसके आस-पास नकारात्मक उर्जा बढ जाती है, और 
आज के समय में मनुष्य के पास पैसा है तो उसके  पास सब कुछ है।धन दौलत इंसान के   लिए  ज़रूरतमंद आवएशकताएं बन गयी है और इसिलए हम  आज कुछ,ऐसे ही निम्नलिखित शगुन धन प्राप्ति का संकेत देते है :


  

अचानक गायों का आपके घर के आस-पास आकर बैठना शुरु कर देना। यह शगुन है की आपके घर में बड़ी खुशी आने वाली है। ऐसे ही कुछ और शगुन हैं जो आपको धन लाभ का संकेत देते हैं।

v  जेब से अचानक पैसे का गिरना।


v  दूध का उबल का गिरना जाना।

v  हल्दी लगा पैसा कहीं से मिलना।

v  कौआ उड़ता हुआ आकर अचानक पैर को छूकर चला जाए।

v  मोर की आवाज सुनाई देना। माना जाता है की तीन बार मोर की आवाज कानों में आए तो यह धन लाभ का सूचक होता है।

v  यात्रा पर जाते समय पक्षियों का झुंड दिखना कार्य में सफलता और लाभ का सूचक होता है। किया गया है किया गया है किया गया है

v  घर में दो मुंह के सांप का आना।

v  दीपावली की रात बिल्ली का घर में आना।

v  दायीं आंख की ऊपरी पलकों का फड़कना बताता है की लाभ और शुभ समाचार मिलने वाला है।



अगर धन दूसरों की भलाई करने में मदद करे, तो इसका कुछ मूल्य है, अन्यथा, ये सिर्फ बुराई का एक ढेर है, और इससे जितना जल्दी छुटकारा मिल जाये उतना बेहतर है|