हिंदू धर्म में
एकादशी का व्रत महत्वपूर्ण स्थान रखता है। प्रत्येक वर्ष 24 एकादशियाँ होती हैं। जब अधिकमास या मलमास (पंचांग (खगोलीय गणना) के अनुसार हर तीन वर्ष
के अंतराल पर) अधिक मास या मलमास आता है तब इनकी संख्या बढ़कर 26 हो जाती है। सभी उपवासों में एकाद्शी व्रत
श्रेष्ठतम कहा गया है| इस व्रत को रखने वाले व्यक्ति को अपने
इंद्रियों, आहार और व्यवहार पर संयम
रखना होता है| एकाद्शी व्रत का
उपवास व्यक्ति को धर्म के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है. साल की 26
एकादशियाँ कुछ इस प्रकार होती है :
नाम मास पक्ष
1. कामदा एकादशी चैत्र शुक्ल
2. वरूथिनी एकादशी वैशाख
कृष्ण
3. मोहिनी एकादशी वैशाख
शुक्ल
4. अपरा एकादशी ज्येष्ठ
कृष्ण
5. निर्जला एकादशी ज्येष्ठ
शुक्ल
6. योगिनी एकादशी आषाढ़
कृष्ण
7. देवशयनी एकादशी आषाढ़
शुक्ल
8. कामिका एकादशी श्रावण
कृष्ण
9. पवित्रा एकादशी श्रावण शुक्ल
10. अजा एकादशी भाद्रपद
कृष्ण
11. पद्मा एकादशी भाद्रपद
शुक्ल
12. इंदिरा एकादशी आश्विन कृष्ण
13. पापांकुशा एकादशी आश्विन शुक्ल
14. रमा एकादशी कार्तिक
कृष्ण
15. देव प्रबोधिनी एकादशी कार्तिक
शुक्ल
16. उत्पन्ना एकादशी मार्गशीर्ष
कृष्ण
17. मोक्षदा एकादशी मार्गशीर्ष शुक्ल
18. सफला एकादशी पौष
कृष्ण
19. पुत्रदा एकादशी पौष
शुक्ल
20. षटतिला एकादशी माघ
कृष्ण
21. जया एकादशी माघ
शुक्ल
22. विजया एकादशी फाल्गुन कृष्ण
23. आमलकी एकादशी फाल्गुन शुक्ल
24. पापमोचिनी एकादशी चैत्र कृष्ण
25. पद्मिनी एकादशी अधिकमास शुक्ल
26. परमा एकादशी अधिकमास कृष्ण