हिन्दू शास्त्रों
के अन्तरगत आश्विन मास कि शुक्ल पक्ष कि एकादशी के दिन श्री विष्णु जी का पूजन
करने की सलाह दी़ जाती है,जिसे पापाकुंशा
एकादशी के नाम से जाना जाता है| इस साल पापाकुंशा एकादशी 12 अक्टूबर 2016 बुधवार को मनाई
जाएगी| इस एकादशी के
पूजने से व्यक्ति को स्वर्ग लोक की प्राप्ति होती है|जो फल मनुष्य को दिन-रात कड़ी मेहनत करने के बाद मिलता वही
फल पापाकुंशा एकादशी के दिन श्री विष्णु को नमस्कार कर देने से ही मिल जाता है,और मनुष्य को यमलोक के दु:ख नहीं भोगने पडते है|यह व्रत आश्विन शुक्ल एकादशी को किया जाता है|पापाकुंशा एकादशी के बारे में कहा गया है, कि हजार
अश्वमेघयज्ञ और सौ सूर्ययज्ञ करने के फल,इस एकादशी के फल के सोलहवें, हिस्से के बराबर
भी नहीं होता है| अर्थात इस एकादशी व्रत का
समान अन्य कोई व्रत नहीं है| इस एकादशी का
व्रत करने से मनुष्य को स्वस्थ शरीर और सुन्दर जीवन साथी की प्राप्ति होती है| इस एकादशी की रात्रि में जो जागरण करता है,
उन्हें, स्वर्ग मिलता है| यह एकाद्शी व्रत
करने वाले के मातृपक्ष के दस और पितृपक्ष के दस पितरों को विष्णु लोक लेकर जाती है| इस एकादशी के दिन जो मानव भूमि, गौ, अन्न, जल, वस्त्र और छत्र आदि का दान करता है, उन्हें यमराज के दर्शन नहीं मिलते है| इसके अलावा जो व्यक्ति तालाब, बगीचा, धर्मशाला, प्याऊ, अन्न क्षेत्र आदि बनवाते है, उन्हें पुन्य फलों की प्राप्ति होती है|धर्म करने वाले को सभी सुख मिलते है|
पापाकुंशा एकादशी व्रत विधि
पापाकुंशा एकादशी में श्री विष्णु
जी का पूजन करने के लिए धूप, दीप, नारियल और पुष्प का प्रयोग किया जाता है| एकादशी तिथि के दिन सुबह उठकर स्नान करने के
बाद व्रत का संकल्प लेना चाहिए| संकल्प लेने के
बाद चौकी स्थापना की जाती
है और उसके ऊपर श्री विष्णु जी की मूर्ति रखी जाती है|इसके साथ भगवान विष्णु कथा का स्मरण किया जाता है| इस व्रत को करने वाले को विष्णु के सहस्त्रनाम
का पाठ करना चाहिए|
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