Saturday, 31 December 2016

रविवार को करें इन चीज़ों का करें परहेज़


आकांशा शर्मा : सूर्य भगवान रोशनी और उर्जा के देवता हैं । वैदिक शास्त्रों में सूर्य को एक विषेश स्थान दिया गया है।
हिंदू धर्म में हर भगवान का कोई न कोई वार होता है। रविवार को भगवान सूर्य का वार माना जाता है।  वैदिक शास्त्रों में सूर्य की कई हानिकारक प्रकृति के बारे में बताया गया है। जिससे सीधा इंसान

का जीवन प्रभावित होता है ।


रविवार को नहीं खानी चाहिए ये चीजें
रविवार के दिन कुछ चीजों को नहीं खाना चाहिए। खासतौर से उन लोगों के लिए तो यह जरूरी है जिनकी जन्म पत्रि में सूर्य का प्रभाव होता है|

प्याज का सेवन
 भगवान सूर्य को प्याज चढ़ाया भी नहीं जाता है और रविवार के दिन खाने से इसका गलत असर शरीर पर पड़ता है।


मसूर की दाल
रविवार के दिन मसूर की दाल नहीं खानी चाहिए। इस दाल से सूर्य देव इंसान पर गंभीर प्रभाव डालते हैं|


मछली
सूर्य देव उस इंसान को कई तरह के रोग देते हैं जो रविवार के दिन मछली का सेवन करते हैं। क्योंकि यह मांस होता है। जिससे भगवान सूर्य कुपित होते हैं।


लाल रंग की सब्जी
लाल रंग की सब्जी या साग भी भूलकर रविवार के दिन नहीं खाना चाहिए।


लहसुन
रविवार के दिन लहसुन खाने से इंसान को गंभीर रोग हो सकते हैं ।

Wednesday, 28 December 2016

पानी है रामबाण


- सुबह उठकर पानी पीने से शरीर में मौजूद अशुद्ध  पदार्थ निकल जाते हैं, जिससे खून साफ हो जाता है. खून साफ हो जाने से त्वचा पर भी चमक आती है.

- सुबह उठकर पानी पीने से मेटाबॉलिज्म ठीक रहता है.

- सुबह उठकर पानी पीने से वज़न भी काम किआ जा सकता है |आप गर्म पानी में शहद और नींबू मिलाकर लगातार तीन महीने पिएं. ये वज़न घटाने में जादुईये साबित होता है


- सुबह उठकर पानी पीने से नई कोशिकाओं का निर्माण होता है.

- सुबह उठकर पानी पीने से मासपेशियां भी सटीक रहती है |


- जो लोग सुबह उठकर खाली पेट पानी पीते हैं उन्हें कब्ज की शिकायत नहीं होती. सुबह पेट साफ होने की वजह से ऐसे लोग जो कुछ भी खाते हैं उसका उनके शरीर को पूरा फायदा मिलता है. कब्ज

की वजह से होने वाले अन्य रोग भी नहीं होते.


- बेमौसम भी आपको अगर छाती में जकड़न और जुकाम शिकायत रहती है तो गर्म पानी पीना आपके लिए रामबाण से कम नहीं है. गर्म पानी पीने से गला भी ठीक रहता है. इसके सेवन से आराम

मिलता है.

- गर्म पानी पीने से बॉडी को डिटॉक्‍स करने में मदद मिलती है और यह शरीर की सारी अशुद्धियां को बहुत आसानी से साफ कर देता है. गर्म पानी पीने से शरीर का तापमान बढ़ने लग जाता है, जिससे

पसीना आता है और जिससे शरीर की अशुद्धियां दूर हो जाती हैं.


- चेहरे पर पड़ती झुर्रियां आपको परेशान करने लगती हैं तो चिंता की कोई बात नहीं है. गरम पानी के सेवन से  कुछ ही हफ्तों में त्‍वचा में कसाव आने लगेगा और यह चमकदार भी हो जाएगी.

- इसके अलावा गर्म पानी का सेवन बालों और त्वचा के लिए भी बहुत फायदेमंद है. इससे बाल चमकदार बनते हैं और यह इनकी ग्रोथ के लिए भी बहुत फायदेमंद है.


- खाना खाने के बाद एक कप गर्म पानी पीने का आदत जरूर डालें. ऐसा करने से खाना जल्‍दी पच जाता है और पेट हल्‍का र-हता है.

- गर्म पानी जोड़ों को चिकना बनाता है और जोड़ों का दर्द भी कम करता है. हमारी मांसपेशियों का 80 प्रतिशत भाग पानी से बना हुआ है इसलिए पानी पानी से मांसपेशियों की ऐंठन भी दूर होती है

Monday, 26 December 2016

भगवन के घर देर है अंधेर नहीं


आकांशा शर्मा : एक रोज रास्ते में एक महात्मा अपने शिष्य के साथ टहल रहे थे | गुरुजी को ज्यादा बातें करना पसंद नहीं था, वे बेहद ही कम बोलने वाले और अपना काम शांतिपूर्वक  खत्म करने वालो में से थे |
परन्तु शिष्य को हमेशा इधर-उधर की बातें ही सूझती, उसे दूसरों की बातों में बड़ा ही आनंद आता था.

चलते हुए जब वो तालाब से होकर गुजर रहे थे, तो उन्होंने देखा कि एक शिकारी नदी में जाल डाले हुए है. शिष्य शिकारी  को ‘अहिंसा परमोधर्म’ का उपदेश देने लगा.


लेकिन शिकारी कहाँ समझने वाला था, शिष्य और शिकारी  के बीच झगड़ा शुरू हो गया. यह झगड़ा देख गुरूजी ने शिष्य को अपने साथ चलने को कहा एवं शिष्य को पकड़कर ले चले.

गुरूजी ने अपने शिष्य से कहा- “बेटा हम जैसे साधुओं का काम सिर्फ समझाना है, लेकिन ईश्वर ने हमें दंड देने के लिए धरती पर नहीं भेजा है!” शिष्य ने पुछा-  तो आखिर इसको दण्ड कौन

देगा?”


शिष्य की इस बात का जवाब देते हुए गुरूजी ने कहा- “बेटा! तुम निश्चिंत रहो इसे भी दण्ड मिलेगा … ईश्वर की दृष्टि सब

तरफ है और वो सब जगह पहुँच जाते हैं

इसलिए अभी तुम चलो, इस झगड़े में पड़ना गलत होगा, इसलिए इस झगड़े से दूर रहो..! शिष्य गुरुजी के साथ चल दिया.

इस बात को ठीक दो वर्ष ही बीते थे कि एक दिन गुरूजी और शिष्य दोनों उसी तालाब से होकर गुजरे, उन्होंने उसी तालाब के

पास देखा कि एक साँप बहुत कष्ट में था उसे हजारों चीटियाँ नोच-नोच कर खा रही थीं. शिष्य ने यह दृश्य देखा और उससे रहा नहीं गया,वह सर्प को चींटियों से बचाने के लिए जाने ही वाला था कि


गुरूजी उसे जाने से मना करते हुए कहा-“ बेटा! इसे अपने कर्मों का फल भोगने दो.. यदि अभी तुमने इसे रोकना चाहा

तो इस बेचारे को फिर से दुसरे जन्म में यह दुःख भोगने होंगे क्योंकि कर्म का फल अवश्य ही भोगना पड़ता है..“यह वही शिकारी है जिसे तुम पिछले वर्ष इसी स्थान पर मछली न मारने का उपदेश दे

रहे थे और वह तुम्हारे साथ लड़ने के लिए आग-बबूला हुआ जा रहा था. वे मछलियाँ ही चींटी

है जो इसे नोच-नोचकर खा रही है..”
शिष्य गुरुजी की बात स्पष्ट रूप से समझ चूका था…
ईश्वर हमेशा सही न्याय करते हैं. और उनके न्याय करने का सीधा सम्बन्ध हमारे अपने कर्मों से है. यदि हमने

अपने जीवन में बहुत अच्छे कर्म किये हैं या अच्छे कर्म कर रहे हैं तो उसी के अनुरूप ईश्वर हमारे साथ न्याय करेंगे.

Monday, 12 December 2016

क्या है अनमोल शरीर या दौलत ?


आकांशा शर्मा : बहुत समय पहले की बात है दो दोस्ते थे राम और श्याम| एक दिन श्याम राम के पास आया  और बोला, ‘में इस समय बहुत  दुखी हूँ | मेरे पास फूटी कौड़ी तक नहीं है, क्या तुम मेरी कुछ मदद कर

सकते हो |‘


राम उसकी बात सुनकर सोच में पड़ गया और काफी देर बाद बोला मेरा एक दोस्त है जो अंगो का व्यापार करता है तुम उससे मिलो और उसे अपनी आंखे बेच दो वो तुम्हे दोनों आँखों के 20,000 दे

देगा ..

श्याम को सुनकर बहुत  अचम्भा हुआ और बोला कभी नहीं मैं अपनी आँखे कभी नई बेचूंगा आँखें देदी  तो देखूंगा कैसे ...फिर श्याम बोला चलो फिर  50,000  मैं अपने दोनों हाथ बेच दो  इससे

तुम्हारी काफी मुश्किलें दूर हो जाएंगी..श्याम गुस्से मैं लाल होकर बोला हरगिज नहीं और बोला तुमसे मुझे ऐसी आशा नहीं थी


राम बोला दोस्त  में तुम्हारी परेशानी को समझता हूँ | इसीलिए कह रहा हूँ, तुम्हारे लिए यह सौदा फायदेमंद रहेगा | यदि तुम धनवान बनना चाहते हो, एक लाख में अपना यह शरीर बेच डालो |

हमेशा-हमेशा के लिए परेशानियो से छुटकारा मिल जाएगा



तुम  एक लाख की बात करते हो , में एक करोड़ में भी यह शरीर नहीं बेचूंगा | तब राम मुस्कराते हुए बोला , ‘जो व्यक्ति एक करोड़ में भी अपना जिस्म बेचने को तैयार न हो, वह कैसे कहता है

की उसके पास कुछ भी नहीं है | अरे, भाई यह शरीर अमूल्य है | परिश्रम करो, सफलता अवश्य मिलेगी |’

Monday, 28 November 2016

विभूति है बहुमूल्‍य राख


विभूति मात्र एक राख नहीं है जो पूजा के बाद माथे पर लकीर बनी रह जाए। विभूति एक बहुमूल्‍य राख है जो कि एक विशेष प्रकार की लकड़ी को जलाने के बाद प्राप्‍त होती है। विभूति को गाय के गोबर या फिर चावल की भूसी से भी प्राप्‍त किया जा सकता है।
 विभूति को आमतौर पर भगवान शिव के साथ जोड़ा गया है क्‍योंकि वह अपने पूरे शरीर पर इस पवित्र राख को लगाते थे। विभूति के कई सारे आध्यात्मिक महत्व भी हैं। भस्म शब्द का अर्थ है “पाप नष्ट करनेवाला और ईश्वर को स्मरण करनेवाला” | ‘भ’ से आशय है, ‘भत्सर्नम्’ (नष्टकरना) और ‘स्म’ से ‘स्मरणम्’ (स्मरणकरना) का आशय है | अतः भस्म लगाने का अभिप्राय है – अमंगल का नाश और दिव्यता का स्मरण | भस्म को ‘विभूति’ भी कहते हैं (जिसका अर्थ है – गौरव), क्योंकि यह लगाने वाले को ‘गौरव’ प्रदान करती है |

इसे रक्षा भी कहा जाता है (जिसका अर्थ हाउ सुरक्षा का स्रोत), क्योंकि यह बीमारी और विपत्ति से उसकी रक्षा करती है | विभूति मानव जाति के लिए चेतावनी है कि इंसान को सांसारिक इच्छाओं या माया के चारों ओर बंधना नहीं चाहिये। विभूति भगवान शिव की शक्‍ति को दर्शाती है।
विभूति को भस्‍मा के रूप में भी जाना जाता है, जिसका बहुत बड़ा औ‍षधीय महत्‍व है। यह शरीर से अत्‍यधिक नमी को बाहर निकाल कर सोख लेता है और सिरदर्द तथा ठंड से बचाता है। इसे साधू साबुन की जगह पर नहाने के लिये प्रयोग में इसलिये लाते हैं क्‍योंकि इससे त्‍वचा अच्‍छी तरह से साफ हो जाती है।
विभूति भगवान शिव का एक पसंदीदा समान है।भस्म का उपयोग एक औषधि के रूप में भी होता है | बहुत सी आयुर्वेदिक औषधियों में इसका प्रयोग किया जाता है | यह शारीर की फालतू नमी को सोख लेती है और सर्दी, जुकाम, सिरदर्द आदि नहीं होने देती | उपनिषदों के अनुसार, मस्तिष्क पर भस्म लगाते समय, प्रसिध्द ‘मृत्युञ्जय मन्त्र’ का उच्चारण करना चाहिए :-
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धि पुष्टिवर्धनम्
उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीयमामृतात् ||    
 यह इस ब्रह्मांड में सबसे पवित्र और शुद्ध चीज़ के रूप में मानी जाती है। इसे भगवान शिव अपने पूरे शरीर पर लगाते थे।


Friday, 25 November 2016

क्यों करते है आरती


आकांशा शर्मा  : आरती का अर्थ होता है –  भगवान को याद करना | आरती, पूजा के अंत में धूप, दीप, कर्पूर से की जाती है। इसके बिना पूजा अधूरी मानी जाती है। हिंदू धर्म में अग्नि को शुद्ध माना गया है। पूजा

के अंत में जलती हुई लौ को आराध्य देव के सामने एक विशेष विधि से घुमाया जाता है।


आरती चार प्रकार की होती है
1- दीप आरती: दीपक लगाकर  संसार के लिए प्रकाश की प्रार्थना करते हैं।
2- जल आरती: जल जीवन का प्रतीक है।जीवन रूपी जल से भगवान की आरती करते हैं।
3- धूप, कपूर, अगरबत्ती से आरती: धूप, कपूर और अगरबत्ती सुगंध का प्रतीक है। यह वातावरण को सुगंधित करते हैं
4- पुष्प आरती: पुष्प सुंदरता और सुगंध का प्रतीक है।इसलिए पुष्प से आरती की जाती है।


 आरती से  वातावरण पवित्र होता है। आरती के पश्चात मंत्रों द्वारा हाथों में पुष्प लेकर भगवान को पुष्प समर्पित किए जाते हैं तथा प्रार्थना की जाती है।
पूजा में आरती का महत्व इतना है कि अगर कोई व्यक्ति मंत्र नहीं जानता, पूजा की विधि नहीं जानता लेकिन सिर्फ आरती कर लेता है तो भगवान उसकी पूजा  स्वीकार कर लेते हैं।
 यदि भक्त अंतर्मन से ईश्वर को पुकारता  हैं, तो यह पंचारती कहलाती है। आरती हर दिन में एक से पांच बार की जाती है। इसे हर प्रकार के धामिक समारोह एवं त्यौहारों में पूजा के अंत में करते हैं।


आरती करने का समय

1-मंगला आरती. 2- श्रृंगार आरती. 3- राजभोग आरती. 4-संध्या आरती 5-शयन आरती

1- मंगला आरती - यह आरती भगवान् को सूर्योदय से पहले उठाते समय करनी चाहिए.
2- श्रृंगार आरती - यह आरती भगवान् का श्रृंगार करते हुए की जाती है
3- राजभोग आरती - यह आरती दोपहर को भोग लगाते समय करनी चाहिए,और भगवान् जी की आराम की व्यवस्था कर देनी चाहिए.
4- संध्या आरती - यह आरती शाम को भगवान् जी को उठाते समय करनी चाहिए.
5- शयन आरती - यह आरती भगवान् जी को रात्री में सुलाते समय करनी चाहिए.



आरती प्रभु आराधना का एक अनन्य भाव है। पूजा के बाद आरती करने का महत्व इसलिए भी है कि यह भगवान के उस उपकार के प्रति आभार है जो उसने हमारी पूजा स्वीकार कर किया और उन गलतियों के लिए क्षमा आराधना भी है जो हमसे पूजा के दौरान हुई हों।


आरती से उन सभी जानी-अनजानी भूलों के लिए क्षमा प्रार्थना भी करते हैं। आरती भावनाओं की अभिव्यक्ति तो है ही साथ ही इसमें संपूर्ण सृष्टि का सार और विज्ञान भी है।

जब हम भगवान की सेवा सेवक भाव से करते हैं तो इससे हमारे अहंकार का भी नाश होता है और मन निर्मल होता जाता है।

Thursday, 24 November 2016

ॐ के है अनन्त फायदे

आकांशा शर्मा : ओम एक अनन्त शक्ति  है, ओम 3 अक्षरों से बना होता है आ-ओ-म, आ का मतलब माना जाता है  किसी चीज का जन्म होना, ओ का अर्थ उठने से माना जाता है  उतना  यानि विकास, और म का अर्थ होता है मौन हो जाना 



रोजाना सुबह सूर्योदय से पहले उठा जाये और नहाने के बाद एक शांत जगह पर जाकर बैठ जाएं, 108 बार उच्चारण करें | ओम को बोलते समय पूरा ध्यान बोलने पर ही रखें इससे मस्तिष्क में मौन उतर जायेगा पूरा शरीर तनाव रहित और शांत मालूम होने लगेगा |


अग़र आपको ज़्यादातर घबराहट होती हैं, तो आपक़ो रोज़ाना ओम का उच्चारण करना चाहिये इससे चमत्कारी लाभ होते है, और घबराह्ट होना बंद हो जाती है |


 वैज्ञानिकों ने 7 साल तक़ ओम के उच्चारण किया और पाया की रोज़ाना के उच्चारण से शरीर पर सकारात्मक प्रभाव पडता है |  इससे मरीज़ों को भी आराम मिलता हैं साथ ही महिलाओं का बांझपन भी दूर होता हैं |


अगर आपको नींद नहीं आती हैं तो ओम का उच्चारण आपके लिये बहुत फायदेमंद साबित होगा, इससे आपकी नींद गहरी होती जायेगी | और ब्लड प्रेशर और शुगर के मरीज़ों के लिये भी यह लाभकारी होता हैं, रोज़ाना सुबह के समय 108 बार जाप करना फायेदमंद रहता है


एक आध्यात्मिक लाभ यह होता है की ‘आने वाला पल केसा होगा’ आप देख सकेंगे

ॐ का जाप करने से आपके शत्रु भी मित्र बन जायेंगे |


जिन बच्चों का पढ़ाई में मन नहीं लगता उनके लिए भी यह बेहद फायदेमंद हैं, क्योंकि यह स्मरन-शक्ति बढ़ाता है, और मन को एक जगह फोकस करने में करता है |




सुखासन में बैठ क़र रोज़ाना 40 मिनट का उच्चारण किया जाएं तो सिर्फ 7 दिनों में ही अपने स्वाभाव (व्यक्तित्व) में बदलाव आने लगेगा, आपका स्वभाव बदल जाएगा, और 6 सप्ताह में तो 50 % तक़ बदलाव आने लगता है | और ऐसे लोग उन लोगो कि गीनती में आने लगतें है, जो अग़र संकल्प क़र लें तो अपने से 50 गुना ज़्यादा लोगों की सोच और व्यवहार में बद्लाव ला दें |

Wednesday, 23 November 2016

परेशानियां दूर करता है नारियल


1 काम ना बन रहें हो तो
बुधवार की रात्रि को एक नारियल सर के पास रख कर सोये और अगले दिन वह नारियल गणेश जी के मंदिर में कुछ दक्षिणा के साथ अर्पित कर दें तथा गणेश स्तोत्र का पाठ करें। सब मंगल ही मंगल हो जाएगा ।

2. आर्थिक समस्या का समाधान
मंगलवार हनुमान जी के मंदिर एक नारियल ले कर जाये उसपर सिंदूर से स्वस्तिक बनाये हनुमान जी को अर्पित कर वहां बैठ कर ऋणमोचक मंगल स्तोत्र का पाठ करे शीघ्र ही लाभ होगा।


3. व्यापार में हानि
गुरूवार के दिन एक नारियल ले कर ( 1.20 ) मीटर पीले वस्त्र में लपेटे, एक जोड़ा जनेऊ, ( 1kg/250 ) पिली मिठाई के साथ किसी विष्णु मंदिर में संकल्प के साथ रख आएं। जल्द ही मुश्किल हल हो जाएगी


4. पैसे की दिक्कत हो तो
 शुक्रवार को महालक्ष्मी के पूजन में एक नारियल रखें और पूजा के बाद उस नारियल को तिजोरी में रख दें। रात के समय तिजोरी में रखें नारियल को निकाल कर किसी भी श्रीगणेश के मंदिर में अर्पित कर दें। साथ ही श्रीगणेश से निर्धनता दूर करने की प्रार्थना करें।कुछ ही समय में फल प्राप्त होने लगते हैं ।


5. शनि को प्रसन्न करें
 लगातार सात शनिवार तक बिना विलंब एक-एक नारियल किसी पवित्र नदी में प्रवाहित करें । साथ ही नारियल प्रवाहित करते समय ऊँ रामदूताय नम: मंत्र का जप करें। लगातार सात शनिवार इस प्रकार करने से समस्याएं कम हो जाएंगीं तथा शनिदेव की कृपा भी प्राप्त होगी ।


6. किस्मत चमकाने के लिए
पवित्र नदी में 1 नारियल प्रवाहित करें। नारियल प्रवाहित करने से पहले अपने नाम और गौत्र का उच्चारण करना चाहिए। इसके बाद अपने इष्टदेव से प्रार्थना करें कि आपकी परेशानियां दूर करें और नारियल नदी में बहा दें। जल्द ही चमत्कारी फल दिखने लगेगा


7. महिलाएं नहीं फोड़ती हैं नारियल
 नारियल बीज रूप है,स्त्रियां प्रजनन की कारक हैं और इसी वजह से स्त्रियों के लिए बीज रूप नारियल को फोडऩा वर्जित है। इसके साथ ही नारियल बलि का प्रतीक है और बलि पुरुषों द्वारा ही दी जाती है। इस कारण से भी महिलाओ द्वारा नारियल नहीं फोड़ा जाता है