आकांशा शर्मा : तिल चौथ या सकट चौथ का उद्यापन जिस साल घर में लड़के का जन्म हुआ हो या लड़के की शादी हो उस साल किया जाता हैं। तिल चौथ का उद्यापन के दिन तीन पाव ( 750 ग्राम ) तिल व आधा किलों गुड़ या बूरा लेकर तिलकुट्टा बनाया जाता है। इससे लगभग सवा किलोग्राम तिलकुट्ट बनता है। तेरह सुहागिन महिलाओं को तिलकुट्टा खिलाकर भोजन कराया जाता है। सासु माँ को बायना दिया जाता है। चौदह प्लेट में तिलकुट्ट की की चौदह ढेरियां बनायें । इनके साथ सासु माँ के बायना के लिए साड़ी,ब्लाउज़ व श्रध्दानुसार रूपये रखें। तिल चौथ की कहानी सुने। श्रद्धा पूर्वक चौथ माता को नमन करके विनती करें और कहें –
”हे चौथ माता ! आपकी कृपा से मैं उद्यापन कर रही हूँ आशीवार्द प्रदान करना। मुझ पर और मेरे परिवार पर कृपा बनाए रखना “
अब सबसे पहले बायना सासू माँ को दें। उनका आशीर्वाद ले। साथ में फल व मिठाई आदि भी दे सकते है । इसके बाद बची हुई तेरह ढेरियों से तेरह सुहागन औरतो को खाना खिलाते समय पहले तिलकुट परोसें फिर भोजन करायें । खाना खिलाने के बाद विदा करते समय एक प्लेट में थोड़ा तिलकुट साथ ले जाने के लिए दें।तिल चौथ के उद्यापन के समय जिमाने के लिए हलवा , पूरी ,सब्जी , मिठाई , नमकीन आदि बनाये जाते है।
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