Monday, 28 November 2016

विभूति है बहुमूल्‍य राख


विभूति मात्र एक राख नहीं है जो पूजा के बाद माथे पर लकीर बनी रह जाए। विभूति एक बहुमूल्‍य राख है जो कि एक विशेष प्रकार की लकड़ी को जलाने के बाद प्राप्‍त होती है। विभूति को गाय के गोबर या फिर चावल की भूसी से भी प्राप्‍त किया जा सकता है।
 विभूति को आमतौर पर भगवान शिव के साथ जोड़ा गया है क्‍योंकि वह अपने पूरे शरीर पर इस पवित्र राख को लगाते थे। विभूति के कई सारे आध्यात्मिक महत्व भी हैं। भस्म शब्द का अर्थ है “पाप नष्ट करनेवाला और ईश्वर को स्मरण करनेवाला” | ‘भ’ से आशय है, ‘भत्सर्नम्’ (नष्टकरना) और ‘स्म’ से ‘स्मरणम्’ (स्मरणकरना) का आशय है | अतः भस्म लगाने का अभिप्राय है – अमंगल का नाश और दिव्यता का स्मरण | भस्म को ‘विभूति’ भी कहते हैं (जिसका अर्थ है – गौरव), क्योंकि यह लगाने वाले को ‘गौरव’ प्रदान करती है |

इसे रक्षा भी कहा जाता है (जिसका अर्थ हाउ सुरक्षा का स्रोत), क्योंकि यह बीमारी और विपत्ति से उसकी रक्षा करती है | विभूति मानव जाति के लिए चेतावनी है कि इंसान को सांसारिक इच्छाओं या माया के चारों ओर बंधना नहीं चाहिये। विभूति भगवान शिव की शक्‍ति को दर्शाती है।
विभूति को भस्‍मा के रूप में भी जाना जाता है, जिसका बहुत बड़ा औ‍षधीय महत्‍व है। यह शरीर से अत्‍यधिक नमी को बाहर निकाल कर सोख लेता है और सिरदर्द तथा ठंड से बचाता है। इसे साधू साबुन की जगह पर नहाने के लिये प्रयोग में इसलिये लाते हैं क्‍योंकि इससे त्‍वचा अच्‍छी तरह से साफ हो जाती है।
विभूति भगवान शिव का एक पसंदीदा समान है।भस्म का उपयोग एक औषधि के रूप में भी होता है | बहुत सी आयुर्वेदिक औषधियों में इसका प्रयोग किया जाता है | यह शारीर की फालतू नमी को सोख लेती है और सर्दी, जुकाम, सिरदर्द आदि नहीं होने देती | उपनिषदों के अनुसार, मस्तिष्क पर भस्म लगाते समय, प्रसिध्द ‘मृत्युञ्जय मन्त्र’ का उच्चारण करना चाहिए :-
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धि पुष्टिवर्धनम्
उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीयमामृतात् ||    
 यह इस ब्रह्मांड में सबसे पवित्र और शुद्ध चीज़ के रूप में मानी जाती है। इसे भगवान शिव अपने पूरे शरीर पर लगाते थे।


Friday, 25 November 2016

क्यों करते है आरती


आकांशा शर्मा  : आरती का अर्थ होता है –  भगवान को याद करना | आरती, पूजा के अंत में धूप, दीप, कर्पूर से की जाती है। इसके बिना पूजा अधूरी मानी जाती है। हिंदू धर्म में अग्नि को शुद्ध माना गया है। पूजा

के अंत में जलती हुई लौ को आराध्य देव के सामने एक विशेष विधि से घुमाया जाता है।


आरती चार प्रकार की होती है
1- दीप आरती: दीपक लगाकर  संसार के लिए प्रकाश की प्रार्थना करते हैं।
2- जल आरती: जल जीवन का प्रतीक है।जीवन रूपी जल से भगवान की आरती करते हैं।
3- धूप, कपूर, अगरबत्ती से आरती: धूप, कपूर और अगरबत्ती सुगंध का प्रतीक है। यह वातावरण को सुगंधित करते हैं
4- पुष्प आरती: पुष्प सुंदरता और सुगंध का प्रतीक है।इसलिए पुष्प से आरती की जाती है।


 आरती से  वातावरण पवित्र होता है। आरती के पश्चात मंत्रों द्वारा हाथों में पुष्प लेकर भगवान को पुष्प समर्पित किए जाते हैं तथा प्रार्थना की जाती है।
पूजा में आरती का महत्व इतना है कि अगर कोई व्यक्ति मंत्र नहीं जानता, पूजा की विधि नहीं जानता लेकिन सिर्फ आरती कर लेता है तो भगवान उसकी पूजा  स्वीकार कर लेते हैं।
 यदि भक्त अंतर्मन से ईश्वर को पुकारता  हैं, तो यह पंचारती कहलाती है। आरती हर दिन में एक से पांच बार की जाती है। इसे हर प्रकार के धामिक समारोह एवं त्यौहारों में पूजा के अंत में करते हैं।


आरती करने का समय

1-मंगला आरती. 2- श्रृंगार आरती. 3- राजभोग आरती. 4-संध्या आरती 5-शयन आरती

1- मंगला आरती - यह आरती भगवान् को सूर्योदय से पहले उठाते समय करनी चाहिए.
2- श्रृंगार आरती - यह आरती भगवान् का श्रृंगार करते हुए की जाती है
3- राजभोग आरती - यह आरती दोपहर को भोग लगाते समय करनी चाहिए,और भगवान् जी की आराम की व्यवस्था कर देनी चाहिए.
4- संध्या आरती - यह आरती शाम को भगवान् जी को उठाते समय करनी चाहिए.
5- शयन आरती - यह आरती भगवान् जी को रात्री में सुलाते समय करनी चाहिए.



आरती प्रभु आराधना का एक अनन्य भाव है। पूजा के बाद आरती करने का महत्व इसलिए भी है कि यह भगवान के उस उपकार के प्रति आभार है जो उसने हमारी पूजा स्वीकार कर किया और उन गलतियों के लिए क्षमा आराधना भी है जो हमसे पूजा के दौरान हुई हों।


आरती से उन सभी जानी-अनजानी भूलों के लिए क्षमा प्रार्थना भी करते हैं। आरती भावनाओं की अभिव्यक्ति तो है ही साथ ही इसमें संपूर्ण सृष्टि का सार और विज्ञान भी है।

जब हम भगवान की सेवा सेवक भाव से करते हैं तो इससे हमारे अहंकार का भी नाश होता है और मन निर्मल होता जाता है।

Thursday, 24 November 2016

ॐ के है अनन्त फायदे

आकांशा शर्मा : ओम एक अनन्त शक्ति  है, ओम 3 अक्षरों से बना होता है आ-ओ-म, आ का मतलब माना जाता है  किसी चीज का जन्म होना, ओ का अर्थ उठने से माना जाता है  उतना  यानि विकास, और म का अर्थ होता है मौन हो जाना 



रोजाना सुबह सूर्योदय से पहले उठा जाये और नहाने के बाद एक शांत जगह पर जाकर बैठ जाएं, 108 बार उच्चारण करें | ओम को बोलते समय पूरा ध्यान बोलने पर ही रखें इससे मस्तिष्क में मौन उतर जायेगा पूरा शरीर तनाव रहित और शांत मालूम होने लगेगा |


अग़र आपको ज़्यादातर घबराहट होती हैं, तो आपक़ो रोज़ाना ओम का उच्चारण करना चाहिये इससे चमत्कारी लाभ होते है, और घबराह्ट होना बंद हो जाती है |


 वैज्ञानिकों ने 7 साल तक़ ओम के उच्चारण किया और पाया की रोज़ाना के उच्चारण से शरीर पर सकारात्मक प्रभाव पडता है |  इससे मरीज़ों को भी आराम मिलता हैं साथ ही महिलाओं का बांझपन भी दूर होता हैं |


अगर आपको नींद नहीं आती हैं तो ओम का उच्चारण आपके लिये बहुत फायदेमंद साबित होगा, इससे आपकी नींद गहरी होती जायेगी | और ब्लड प्रेशर और शुगर के मरीज़ों के लिये भी यह लाभकारी होता हैं, रोज़ाना सुबह के समय 108 बार जाप करना फायेदमंद रहता है


एक आध्यात्मिक लाभ यह होता है की ‘आने वाला पल केसा होगा’ आप देख सकेंगे

ॐ का जाप करने से आपके शत्रु भी मित्र बन जायेंगे |


जिन बच्चों का पढ़ाई में मन नहीं लगता उनके लिए भी यह बेहद फायदेमंद हैं, क्योंकि यह स्मरन-शक्ति बढ़ाता है, और मन को एक जगह फोकस करने में करता है |




सुखासन में बैठ क़र रोज़ाना 40 मिनट का उच्चारण किया जाएं तो सिर्फ 7 दिनों में ही अपने स्वाभाव (व्यक्तित्व) में बदलाव आने लगेगा, आपका स्वभाव बदल जाएगा, और 6 सप्ताह में तो 50 % तक़ बदलाव आने लगता है | और ऐसे लोग उन लोगो कि गीनती में आने लगतें है, जो अग़र संकल्प क़र लें तो अपने से 50 गुना ज़्यादा लोगों की सोच और व्यवहार में बद्लाव ला दें |

Wednesday, 23 November 2016

परेशानियां दूर करता है नारियल


1 काम ना बन रहें हो तो
बुधवार की रात्रि को एक नारियल सर के पास रख कर सोये और अगले दिन वह नारियल गणेश जी के मंदिर में कुछ दक्षिणा के साथ अर्पित कर दें तथा गणेश स्तोत्र का पाठ करें। सब मंगल ही मंगल हो जाएगा ।

2. आर्थिक समस्या का समाधान
मंगलवार हनुमान जी के मंदिर एक नारियल ले कर जाये उसपर सिंदूर से स्वस्तिक बनाये हनुमान जी को अर्पित कर वहां बैठ कर ऋणमोचक मंगल स्तोत्र का पाठ करे शीघ्र ही लाभ होगा।


3. व्यापार में हानि
गुरूवार के दिन एक नारियल ले कर ( 1.20 ) मीटर पीले वस्त्र में लपेटे, एक जोड़ा जनेऊ, ( 1kg/250 ) पिली मिठाई के साथ किसी विष्णु मंदिर में संकल्प के साथ रख आएं। जल्द ही मुश्किल हल हो जाएगी


4. पैसे की दिक्कत हो तो
 शुक्रवार को महालक्ष्मी के पूजन में एक नारियल रखें और पूजा के बाद उस नारियल को तिजोरी में रख दें। रात के समय तिजोरी में रखें नारियल को निकाल कर किसी भी श्रीगणेश के मंदिर में अर्पित कर दें। साथ ही श्रीगणेश से निर्धनता दूर करने की प्रार्थना करें।कुछ ही समय में फल प्राप्त होने लगते हैं ।


5. शनि को प्रसन्न करें
 लगातार सात शनिवार तक बिना विलंब एक-एक नारियल किसी पवित्र नदी में प्रवाहित करें । साथ ही नारियल प्रवाहित करते समय ऊँ रामदूताय नम: मंत्र का जप करें। लगातार सात शनिवार इस प्रकार करने से समस्याएं कम हो जाएंगीं तथा शनिदेव की कृपा भी प्राप्त होगी ।


6. किस्मत चमकाने के लिए
पवित्र नदी में 1 नारियल प्रवाहित करें। नारियल प्रवाहित करने से पहले अपने नाम और गौत्र का उच्चारण करना चाहिए। इसके बाद अपने इष्टदेव से प्रार्थना करें कि आपकी परेशानियां दूर करें और नारियल नदी में बहा दें। जल्द ही चमत्कारी फल दिखने लगेगा


7. महिलाएं नहीं फोड़ती हैं नारियल
 नारियल बीज रूप है,स्त्रियां प्रजनन की कारक हैं और इसी वजह से स्त्रियों के लिए बीज रूप नारियल को फोडऩा वर्जित है। इसके साथ ही नारियल बलि का प्रतीक है और बलि पुरुषों द्वारा ही दी जाती है। इस कारण से भी महिलाओ द्वारा नारियल नहीं फोड़ा जाता है


Tuesday, 22 November 2016

शंख बजाने का रहस्य

शास्त्रों में लिखा है कि-
मंदिर में शंख क्यों बजाते हैं? इसके पीछे क्या कारण है ? शंख बजाने के पीछे धार्मिक कारण तो है साथ ही इसके
पीछे वैज्ञानिक कारण भी है और शंख बजाने वाले व्यक्ति को स्वास्थ्य लाभ भी मिलता है । इस संबंध में हमारे धर्म ग्रंथ कहते हैं सृष्टी आत्मा से, आत्मा आकाश से, आकाश
वायु से, वायु अग्नि से, आग जल से और जल पृथ्वी से उत्पन्न हुआ है और इन सभी तत्व से मिलकर शंख की उत्पत्ति मानी जाती है।
यदि कोई बोलने में असमर्थ है या उसे हकलेपन का दोष है तो शंख बजाने से ये दोष दूर होते हैं।
शंख बजाने से फेफड़ों कई के रोग दूर होते हैं जैसे दमा, कास प्लीहा यकृत और इन्फ्लून्जा आदि रोगों में शंख ध्वनि फायदा पहुंचाती है।

शंख के जल से शालीग्राम को स्नान कराएं और फिर उस जल को यदि गर्भवती स्त्री को पिलाया जाए तो पैदा होने वाला शिशु पूरी तरह स्वस्थ होता है। साथ ही बच्चा कभी मूक या हकला नहीं होता।

यदि शंखों में दूध भरकर शालीग्राम का अभिषेक करें। फिर इस दूध को नि:संतान महिला को पिलाएं। इससे उन्हें शीघ्र ही संतान का सुख मिलता है ।

शंख बजाने से दमा, अस्थमा, क्षय जैसे जटिल रोगों का प्रभाव काफी हद तक कम हो सकता है ।
इसका वैज्ञानिक कारण यह है कि शंख बजाने से सांस की अच्छी एक्सरसाइज हो जाती है।

शंख में जल भरकर रखने और उस जल से पूजन सामग्री धोने और घर में छिडकने से वातावरण शुद्ध रहता है।
शंख से शिवलिंग,कृष्ण या लक्ष्मी विग्रह पर जल या पंचामृत अभिषेक करने पर देवता प्रसन्न होते हैं ।
शंख की ध्वनि से भक्तों को पूजा-अर्चना के समय की सूचना मिलती है। आरती के समापन के बाद इसकी ध्वनि से मन को शांति मिलती है ।

कल्याणकारी शंख दैनिक जीवन में दिनचर्या को कुछ समय के लिए विराम देकर मौन रूप से देव अर्चना के लिए प्रेरित करता है।


Monday, 21 November 2016

सूर्यदेव आए स्वप्न में - जानिये क्या होगा परिणाम


 हर सपने का एक अर्थ होता है।  स्वप्न हमारे जीवन से जुड़े होते हैं । ये स्वप्न आने वाले कल के कुछ संकेत लेकर आते हैं। सपने में यदि देवी-देवता के दर्शन हों तो इसका क्या अर्थ होता है?


प्रत्येक देवी-देवता का दिखना, भविष्य में आने वाली स्थिति की ओर इशारा करता है । सूर्य देव जिन्हें यश और प्रतिष्ठा के स्वामी माना जाता है,
यदि आपके स्वप्न में सूर्य के दर्शन आपको हो जाएं,


पहला संकेत :  आपको सूर्य उपासना आरंभ कर देनी चाहिए। सूर्य देव आपकी ओर से भक्ति भाव चाहते हैं।



दूसरा संकेत : अब आपके ऊपर शनि देव का बुरा प्रभाव नहीं होगा। शनि, सूर्य देव के पुत्र हैं । ऐसा सपना आपके जीवन में खुशहाली लाएगा।


तीसरा संकेत... यदि सूर्य देव स्वप्न में आए तो यह इस बात का भी प्रतीक है की अब जीवन में कई नई चीजें आने वाली हैं।

यदि आपके सपने में सूर्य देव आएं तो अगले दिन सुबह उठकर सूर्य देव से जुड़े उपाय अवश्य करें। सुबह स्नानादि करके उन्हें जल अर्पित करें, सूर्य मंत्र का जाप करें एवं सूर्य देव को लाल रंग के पुष्प


भी चढ़ाएं। ऐसा करने से सूर्यदेव अपनी कृपा आप पर सदा बनाएं रखेंगें

आखिर क्यों बजाते है मंदिर में घंटियां


आकांशा शर्मा : हिंदू धर्म से जुड़े मंदिरों और धार्मिक स्थलों के बाहर आप सभी ने बड़े-बड़े घंटे या घंटियां लटकी तो देखी होंगी जिन्हें मंदिर में प्रवेश करने से पहले भक्त बजाते हैं. लेकिन कभी इसके पीछे की वजह सोची है ?
प्राचीन समय से ही मंदिरों के बाहर इन घंटियों को लगाए जाने की शुरुआत हो गई थी. इसके पीछे यह मान्यता है कि जिन स्थानों पर घंटी की आवाज नियमित तौर पर आती रहती है


वहां का वातावरण हमेशा सुखद और पवित्र बना रहता है और बुरी शक्तियां पूरी तरह निष्क्रिय रहती हैं.
यही वजह है कि सुबह और शाम जब भी मंदिर में पूजा या आरती होती है तो एक लय और धुन के साथ घंटियां बजाई जाती हैं जिससे वहां मौजूद लोगों को शांति की


अनुभूति होती है.
लोगों का मानना है कि घंटी बजाने से मंदिर में स्थापित देवी-देवताओं की मूर्तियों में चेतना जागृत होती है जिसके बाद उनकी पूजा अधिक फलदायक और प्रभावशाली बन जाती है.
पुराणों के अनुसार मंदिर में घंटी बजाने से मानव के कई जन्मों के पाप तक नष्ट हो जाते हैं.कई लोगो का तो यह भी मानना है की जब सृष्टि का प्रारंभ हुआ तब जो आवाज गूंजी थी वही आवाज घंटी बजाने पर भी आती है.


घंटियां 4 प्रकार की होती हैं : 1. गरूड़ घंटी, 2. द्वार घंटी, 3. हाथ घंटी और 4. घंटा। 1. गरूड़ घंटी : गरूड़ घंटी छोटी-सी होती है


जिसे एक हाथ से बजाया जा सकता है। 2. द्वार घंटी : यह द्वार पर लटकी होती है। यह बड़ी और छोटी दोनों ही आकार की होती है। 3. हाथ घंटी : पीतल की ठोस एक गोल प्लेट की तरह होती है


जिसको लकड़ी के एक गद्दे से ठोककर बजाते हैं। 4. घंटा : यह बहुत बड़ा होता है। कम से कम 5 फुट लंबा और चौड़ा। इसको बजाने के बाद आवाज कई किलोमीटर तक चली जाती है।



मंदिर में घंटी लगाए जाने के पीछे ना सिर्फ धार्मिक कारण है बल्कि वैज्ञानिक कारण भी हैं. वैज्ञानिकों का कहना है कि जब घंटी बजाई जाती है तो वातावरण में कंपन पैदा


होता है, जो वायुमंडल के कारण काफी दूर तक जाती है. इस कंपन का फायदा यह है कि इसके क्षेत्र में आने वाले सभी जीवाणु, विषाणु और सूक्ष्म जीव आदि नष्ट हो जाते हैं, जिससे आसपास का



वातावरण शुद्ध हो जाता है.
इसीलिए अगर आप मंदिर जाते समय घंटी बजाने को अहमियत नहीं देते हैं तो अगली बार प्रवेश करने से पहले घंटी बजाना ना भूलें.