आकांशा शर्मा : हिन्दू धर्म में भगवान को भोग लगाने की परंपरा है। लोग भगवान की पूजा भले ना करें परंतु अपने घर में भगवान को प्रसाद जरूर चढ़ाते है। इसके पीछे कारण यह है कि श्रीमद् भागवत गीता में भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं कि जो कोई भक्त प्रेमपूर्वक मुझे फूल, फल, अन्न, जल आदि अर्पण करता है। उसे मैं सगुण प्रकट होकर ग्रहण करता हूं।
भगवान की कृपा से जो जल और अन्न हमें प्राप्त होता है उसे भगवान को अर्पित करना चाहिए |
भगवान को प्रसाद चढ़े और तुलसी दल न हो तो भोग अधूरा ही माना जाता है। भगवान् के भोग में तुलसी रखने की परम्परा सदियो से चली आ रही है। भोग लगाने के बाद ग्रहण किया गया अन्न दिव्य अन्न हो जाता है क्योंकि उसमें तुलसी दल होता है।
एकमात्र तुलसी में यह खूबी है कि इसका पत्ता रोगप्रतिरोधक होता है । यानि कि एंटीबायोटिक है । तुलसी डाला हुआ भोग अमृत समान सीधा शरीर तक पहुँचता है और भगवान को प्रसाद चढ़ाने से घर में अन्न के भंडार हमेशा भरे रहते हैं और घर में कोई कमी नहीं आती है ।
वैज्ञानिक दृष्टि से स्वस्थ रहने के लिए भोजन करते समय मन को शांत और निर्मल रखना चाहिए। अशांत मन से किया गया भोजन पचने में कठिन होता है।
ऐसा भोजन करने से शरीर में विकार उत्पन्न होता है और विभिन्न प्रकार के रोग होते हैं।
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