Monday 21 November 2016

आखिर क्यों बजाते है मंदिर में घंटियां


आकांशा शर्मा : हिंदू धर्म से जुड़े मंदिरों और धार्मिक स्थलों के बाहर आप सभी ने बड़े-बड़े घंटे या घंटियां लटकी तो देखी होंगी जिन्हें मंदिर में प्रवेश करने से पहले भक्त बजाते हैं. लेकिन कभी इसके पीछे की वजह सोची है ?
प्राचीन समय से ही मंदिरों के बाहर इन घंटियों को लगाए जाने की शुरुआत हो गई थी. इसके पीछे यह मान्यता है कि जिन स्थानों पर घंटी की आवाज नियमित तौर पर आती रहती है


वहां का वातावरण हमेशा सुखद और पवित्र बना रहता है और बुरी शक्तियां पूरी तरह निष्क्रिय रहती हैं.
यही वजह है कि सुबह और शाम जब भी मंदिर में पूजा या आरती होती है तो एक लय और धुन के साथ घंटियां बजाई जाती हैं जिससे वहां मौजूद लोगों को शांति की


अनुभूति होती है.
लोगों का मानना है कि घंटी बजाने से मंदिर में स्थापित देवी-देवताओं की मूर्तियों में चेतना जागृत होती है जिसके बाद उनकी पूजा अधिक फलदायक और प्रभावशाली बन जाती है.
पुराणों के अनुसार मंदिर में घंटी बजाने से मानव के कई जन्मों के पाप तक नष्ट हो जाते हैं.कई लोगो का तो यह भी मानना है की जब सृष्टि का प्रारंभ हुआ तब जो आवाज गूंजी थी वही आवाज घंटी बजाने पर भी आती है.


घंटियां 4 प्रकार की होती हैं : 1. गरूड़ घंटी, 2. द्वार घंटी, 3. हाथ घंटी और 4. घंटा। 1. गरूड़ घंटी : गरूड़ घंटी छोटी-सी होती है


जिसे एक हाथ से बजाया जा सकता है। 2. द्वार घंटी : यह द्वार पर लटकी होती है। यह बड़ी और छोटी दोनों ही आकार की होती है। 3. हाथ घंटी : पीतल की ठोस एक गोल प्लेट की तरह होती है


जिसको लकड़ी के एक गद्दे से ठोककर बजाते हैं। 4. घंटा : यह बहुत बड़ा होता है। कम से कम 5 फुट लंबा और चौड़ा। इसको बजाने के बाद आवाज कई किलोमीटर तक चली जाती है।



मंदिर में घंटी लगाए जाने के पीछे ना सिर्फ धार्मिक कारण है बल्कि वैज्ञानिक कारण भी हैं. वैज्ञानिकों का कहना है कि जब घंटी बजाई जाती है तो वातावरण में कंपन पैदा


होता है, जो वायुमंडल के कारण काफी दूर तक जाती है. इस कंपन का फायदा यह है कि इसके क्षेत्र में आने वाले सभी जीवाणु, विषाणु और सूक्ष्म जीव आदि नष्ट हो जाते हैं, जिससे आसपास का



वातावरण शुद्ध हो जाता है.
इसीलिए अगर आप मंदिर जाते समय घंटी बजाने को अहमियत नहीं देते हैं तो अगली बार प्रवेश करने से पहले घंटी बजाना ना भूलें.














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