आकांशा शर्मा :- सनातन धर्म के अनुसार घरों में तुलसी का पौधा लगाने की परम्परा बहुत पुराने समय से चली आ रही है।हिन्दू धर्म में तुलसी को देवी का स्थान दिया गया है। आयुर्वेद के अनुसार तुलसी के पत्तों का सेवन करने पर कई प्रकार की बीमारियों को काबू मैं किया जा सकता है।
परंतु प्रश्न ये उठता है की क्यों तुलसी को चबाना नहीं चाहिए ?
तुलसी के पत्तो को इसिलए नहीं चबाया जाता क्योंकि तुलसी के पत्तों में पारा धातु भी विद्यमान होती है जो कि पत्तों को चबाने से यह धातु दांतों पर लगती है। यह हमारे दांतों के लिए फायदेमंद नहीं है। इससे दांत और मुंह से संबंधित रोग का खतरा हो सकता है। अत: तुलसी के पत्तों को बिना चबाए निगलना चाहिए।
हिन्दु धर्म मैं माना जाता है की घर के वातावरण को पवित्र और सकारात्मक रखने के लिए तुलसी के पौधे को घर-आंगन मैं रखा जाता है। वैज्ञानिक पक्ष के अनुसार तुलसी की महक से घर और घर के आसपास के वातावरण में फैले हुए कई हानिकारक कीटाणु नष्ट हो जाते हैं। इसी वजह से हर रोज तुलसी में जल चढ़ाने की परंपरा भी है, ताकि हम कुछ समय तक तुलसी के पास रहें।
परंतु प्रश्न ये उठता है की क्यों तुलसी को चबाना नहीं चाहिए ?
तुलसी के पत्तो को इसिलए नहीं चबाया जाता क्योंकि तुलसी के पत्तों में पारा धातु भी विद्यमान होती है जो कि पत्तों को चबाने से यह धातु दांतों पर लगती है। यह हमारे दांतों के लिए फायदेमंद नहीं है। इससे दांत और मुंह से संबंधित रोग का खतरा हो सकता है। अत: तुलसी के पत्तों को बिना चबाए निगलना चाहिए।
हिन्दु धर्म मैं माना जाता है की घर के वातावरण को पवित्र और सकारात्मक रखने के लिए तुलसी के पौधे को घर-आंगन मैं रखा जाता है। वैज्ञानिक पक्ष के अनुसार तुलसी की महक से घर और घर के आसपास के वातावरण में फैले हुए कई हानिकारक कीटाणु नष्ट हो जाते हैं। इसी वजह से हर रोज तुलसी में जल चढ़ाने की परंपरा भी है, ताकि हम कुछ समय तक तुलसी के पास रहें।
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