शास्त्रो के अनुसार
इन दिनों करें दूसरों
के घर के अन्न का परहेज़
1- ग्रहण
पुराणों के अनुसार
ग्रहण के दिन
किसी दूसरे के
घर का अन्न नहीं
खाना चाहिए।लोगो का
यह मानना है
की इस दिन
अगर दूसरे का
अन्न खाया जाए
तो मनुष्य द्वारा
किये गए बारह
वर्ष के पुण्य
समाप्त हो जाते
है|
2- अमावस्या
तिथि
शास्त्रो में कहा
गया है की
अगर कोई व्यक्ति
अमावस्या तिथि के
दिन अपने घर
के अलावा किसी
और के घर
का अन्ना खता
है तो उसका
किया हुआ पुरे
महीने का पुण्य ख़त्म हो
जाता है,और
जिस व्यक्ति के
घर का अन्ना
ग्रहण किआ जाता
है उसको सारा
पुण्य मिल जाता
है|
3- संक्रांति
सूर्य हर महीने
राशियों में परिवर्तन करता है,उसी को
हिन्दू ग्रंथो में संक्रांति
का नाम दिया
गया है|ग्रंथो
में किये गए
स्कन्द पुराण के वर्णन
के मूताबिक इस
दिन दूसरे का
अन्न खाने से
व्यक्ति के महीने
भर का पुण्य
नष्ट हो जाता
है|
4- सूर्ये का उत्तरायण
या दक्षिणायन
हिंदु पंचांग के अनुसार
एक वर्ष में दो अयन होते हैं. अर्थात एक साल में दो बार सूर्य की स्थिति में परिवर्तन
होता है और यही परिवर्तन या अयन ‘उत्तरायण और दक्षिणायन’ कहा जाता है|जब सूर्य
मकर राशि से मिथुन राशि तक भ्रमण करता है, तब यहाँ तक के समय को उत्तरायण कहते हैं|यह समय छ: माह
का होता है|तत्पश्चात जब सूर्य कर्क राशि से सिंह, कन्या, तुला, वृश्चिक, और धनु राशि
में विचरण करता है तब इस समय को दक्षिणायन कहते हैं|इस प्रकार यह दोनो अयन 6-6 माह
के होते हैं|लोगो का मन्ना है की
जब जब सूर्ये
उत्तरायण या दक्षिणायन
होता है तब
भी दूसरे का
अन्न खाना अशुभ
माना जाता है|
5- मनुस्मृति
(हिन्दू धर्म का
सबसे महत्वपूर्ण एवं
प्राचीन धर्मशास्त्र (स्मृति) है)
मनुस्मृति के
अन्तर्गत कहा गया
है जो व्यक्ति सेवा,सम्मान
एवं अच्छे भोजन
के लालच में
दूसरे के घर
जाकर भोजन करता
है उस व्यक्ति
को अगले जन्म
में भोजन करवाने
वाले के घर
में पशु बनकर
रहना पड़ता है ।
इन 5 बातो का
ध्यान रखकर हम
सभी पशु योनि
में जन्मे जाने से
बच सकते है||
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